शनिवार, 5 नवंबर 2011


                                         मेरा ख्वाब 
एक छोटा सा है ख्वाब 
कुछ पाने की है आस 
एक ऐसी मंजिल जिसकी 
है कबसे मुझको तलाश l 
दुनिया में मेरी भी हो एक पहचान
भले वो छोटी सी हो 
पर फिर भी उसपर हो मुझको नाज़
करू ऐसा काम जिससे 
भले ही किसी का न हो भला
पर कभी भी किसी का 
न हो कोई नुकसान l 
सूरज सा न हो आग 
पर एक दीये का हो प्रकाश 
सागर सी न हो विशाल पर 
एक मीठा जलाशय बन पाऊँ काश
आँधी का तेज़ न हो साथ
ठंडी पवन रहे हमेशा पास
अपनी नज़रों में बन सकूँ 
मैं कुछ खास 
कोशिश है पूरी मेरी 
ख़त्म करने की अपनी यह तलाश l 

1 टिप्पणी:

Snehashish Samrat ने कहा…

Miil jaye aapko manzil...poori ho jaye aapki aas.
Khuda de itni barkat ki poori jindagi na karni pade ushki talaash.
Sapno ko poora karna hi jindagi ki manzil nhi hai,dusro ko de rahmat to jannat se bhi aage jindagi hai.