शनिवार, 5 नवंबर 2011

                       
हाय रे यह महंगाई 
सबमें मचा दी त्राहि-त्राहि 
क्या अमीर और क्या गरीब 
सबकी इसने बैंड बजायी  
पर्वो की थी शान मिठाई 
पर अब तो थोड़ी मिठास पाने में 
ख़त्म हो जाती सारी कमाई 
थाली भी अब हो रही खाली
कैसे करे अनाज की भरपाई 
करने जाते थे होटलों में मस्ती
पर अब ढाबे में भी नहीं मस्ती सस्ती
नैनों ने सोचा दे दूँ मात 
पर बिन पेट्रोल दिखाए कैसे करामत
कुछ भी तो इससे बच न पाई 
हाय कैसे इससे निकले भाई
आई गयी कितनी सरकार
पर किसी ने सुनी न गुहार 
बस करती एक-दूजे की बुराई
और बढ़ा रही अपनी कमाई
अपनी थाली में नहीं है दाना 
दूसरों को बाट रही खाना
पड़ोसी देशों की कर रही भलाई 
और लूट रही वाहवाही 
अब जनता क्या करे 
किसके आगे करे सुनवाई
कोई भी छोड़ दे हमें 
पर साथ है हमेशा महंगाई 

1 टिप्पणी:

Snehashish Vardhan Samrat ने कहा…

Ab sarkar se hamari hai sirf ek hi duhaayee.
Bhag jao Italy aur leti jao mehangayee